पतझड़ का मौसम वातावरण एवं मनुष्य जीवन में बदलाव भी लाता है। बच्चे हो या बुजुर्ग आज के समय में अपनी सेहत का खयाल तो हर किसी को रखना होता है। इंफेक्शन का खतरा बच्चे हो या बुजुर्ग आज के समय में तो हर किसी कि यह खतरा होता ही है। अस्थमा की बीमारी आज के समय दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में खुदका और खिड़की सेहत का खयाल किस तरह रखा जाए आइए जानते है इस लेख में!
सोध से पता चला हैं की –
पतझड़ में जो बच्चे जन्म लेते है उन पर अस्थमा का खतरा सबसे अधिक होता है। ब्रिटेन में करीब 20% लोग एक एलर्जी से पीड़ित होते है – अस्थमा। किन्तु, डॉक्टर का कहना है कि उनमें से भी अधिक संख्या उनकी है को पतझड़ के मौसम में पैदा हुए है।
उनकी त्वचा वातावरण और भी की चीजें किसी भी बीमारी का कारण होते है। पतझड़ में पैदा हुए बच्चो कि त्वचा सुखी भी होती है। जो बच्चे पतझड़ में पैदा होते है उनकी त्वचा कमजोर होती है इसलिए हानिकारक बैक्टीरिया उन पर बार-बार अटैक करते है।
सोधकर्ताओं का कहना है कि – ज्यादातर एलर्जी बचपन में ही शुरू होती है जब एलर्जी फैलाने वाले रोगाणु सूखी हुई त्वचा से अंदर प्रवेश करते हैं।
कैसे रखें खयाल?
- खाने में विटामिन D अवश्य शामिल करें। जैसे दूध, अंडे आदि।
- मैग्नेशियम से भरपूर आहार लें।
- हरी सब्जियां एवं गाजर भी अपने खाने में अवश्य शामिल करें।
- सेब एवं केले जैसे फल भी दिन में एक बार अवश्य खाएं।
- हर रोज़ प्राणायाम करने की आदत डालें।
यदि, बालपन से भी अच्छे से देख बाल की जाएं तो बड़ी उम्र में तकलीफ नहीं होगी।
इस बीमारी के इलाज के लिए कई तरह की ट्रीटमेंट्स मौजूद है।
जैसे – एलर्जी शॉट्स, एलर्जी की दवाएं, और long-acting beta antagonists (LABAs), आदि।