मानसिक स्वास्थ्य पर इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) का क्या असर पड़ता हैं?

आज के समय में चयापचय (मेटाबॉलिक) को बढ़ाने के लिए आपको हर 2 से 3 घंटे में कुछ न कुछ खाना खाने की सलाह दी जाती हैं।लेकिन ऐसा करने से चयापचय बढ़ता हैं या नहीं वह तो नहीं पता लेकिन ऐसा बार-बार खाने से दिन भर की कैलोरी जरूर बढ़ जाएगी।आपको हर कुछ घंटों में कुछ न कुछ खाना चाहिए।

ऐसे में अधिक भोजन आपके शरीर में विशेष रूप से अंग के आसपास ज्यादा चर्बी का निर्माण करता हैं। यह आपको चयापचय चिंता की तरफ ले जाता हैं और यह मधुसूदनी (इंसुलिन) प्रतिरोध को भी बढ़ावा देता हैं।ऐसे में  उपवास एक इंसान के पूरे स्वास्थ्य में सुधार करता हैं।आप जब भोजना खाना बंद कर देते हैं,तो 12 घंटे से 36 घंटे तक कार्बोहाइड्रेट फ्यूल होता हैं।ऐसे में आपका शरीर ऊर्जा के स्रोत के लिए चर्बी बनाता हैं इसे चयापचय स्विच कहा जाता हैं।यही वजह हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग या उपवास के दौरान आपको अनुशंसित16 घंटे के उपवास की सलाह दी जाती हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार उन्होंने एक चूहे को उपवास जैसी स्थिति में रखा और यह देखा कि उसके वज़न में कुछ कमी आई हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब यह हैं कि,उपवास करना जो हजारों वर्षों से चला आ रहा हैं या आप ऐसा भी कह सकते हैं कि सुबह का नाश्ता स्किप करना और इसके बाद में दुपहर का खाना पेट भर कर खाना।

आप इसे ऐसा भी कह सकते हैं,भूखे रहने के समय को फ़ेमाइन फ़ेज़ और खूब खाने के समय को फ़ीस्टिंग फ़ेज़।आप फ़ेमाइन फ़ेज़ के दौरान हफ़्ते में एक दिन 24 घंटे के लिए भूखे रह सकते हैं या हफ़्ते में 4 दिन उपवास लगातार नहीं कर सकते हैं।ऐसे में फ़ीस्टिंग फ़ेज़ में आप अपनी पसंदीदा चीज़ें खा सकते हैं।

ऐसा आप हफ़्ते में एक दो दिन के लिए अपने आपको नियंत्रित कर सकते हैं और बाकी दिन जितना मन करे उतना अच्छे से आप खा सकते हैं।

आपको अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग के फ़ायदे के बारे में बताया जाए तो मधुसूदनी सेंसिटिविटी जो सबसे ऊपर होगा।ऐसे में खोज के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि उपवास आपके शरीर को मधुसूदनी की तरफ़ ज़्यादा संवेदनशील बनाता हैं।मधुसूदनी वह हार्मोन हैं जो आपके शरीर की कोशिकाओं को खून से ग्लूकोज़ लेने में मदद करता हैं।इसका मतलब यह हैं कि उपवास के बाद आपका शरीर बेहतर तरीके से ग्लूकोज़ को सुखा देता हैं और इस तरह ब्लड में ग्लूकोज़ लेवल कम हो जाता हैं।ऐसे में डाइबिटीज़ और उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्याओं का जोखिम भी कम किया जा सकता हैं।

इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ता हैं। 

अब आपको बताते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या फायदे हैं।

आंतरायिक उपवास करने वाले लोगों में कई लोग ऐसे हैं वजन को कम करने के लिए ऐसा कहते हैं और रुक-रुक कर उपवास करने से आप कम भोजन करते हैं।

जब कभी आप अन्य भोजन के दौरान अधिक खाना नहीं खाते हैं तब तक आप कम कैलोरी ले लेते हैं ।

इसके अलावा आंतरायिक उपवास आपकी वजन घटाने की सुविधा के लिए हार्मोन के कार्य को बढ़ाती हैं।

मधुसूदनी का स्तर कम होता हैं,एचजीएच का स्तर और नॉरपेनेफ्रिन की बढ़ी हुई मात्रा आपके पूरे शरीर में वसा के टूटने को बढ़ाते हैं।

आपके दिमाग के लिए फायदेमंद 

जो आपके शरीर के लिए अच्छा होता हैं वह अक्सर मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता हैं।

आंतरायिक उपवास को कम करने में सहायता करता हैं चूहों के एक अध्ययनों से पता चला हैं कि आंतरायिक उपवास से हि नई कोशिकाओं के विकास को बढ़ाया जा सकता हैं,जिससे मस्तिष्क के कार्य में लाभ होना चाहिए।

आंतरायिक उपवास से मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण लाभ हो सकता हैं।ये नए न्यूरॉन्स की वृद्धि को बढ़ा सकता हैं और मस्तिष्क को नुकसान से भी बचाया जा सकता हैं।

कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप

आंतरायिक उपवास एलडीएल और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार लाने में सहायक हैं।शोधाओ के अनुसार यह  पता चला हैं कि यह रक्तचाप और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता हैं।यह उपाय तरह तरह के रोगों के जोखिम को रोकने और कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और विशेष रूप से हृदय रोग।

 सूजन

आंतरायिक उपवास करने से शरीर कि सूजन को कम किया जा सकता हैं।यह दिखाया गया हैं कि आंतरायिक उपवास एडिपोनेक्टिन में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता हैं,जो आपकि सूजन पैदा करने वाले मोनोसाइट्स को रोककर सूजन को कम करने में आपकी सहायता कर सकता हैं।

आइए जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या नुकसान हैं।

सिरदर्द और चक्कर आना

  • सिरदर्द आंतरायिक उपवास का एक दुष्प्रभाव हैं। वे आम तौर पर उपवास मसविदा बनाने (प्रोटोकॉल) के  कुछ दिनों पहले होता हैं।
  • साइड इफेक्ट की सूचना देने वाले चार अध्ययनों के मुताबिक कुछ प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें हल्का सिरदर्द रहता हैं।
  • शोधकर्ताओं ने यह भी बताया  हैं कि उपवास में सिरदर्द मस्तिष्क के ललाट क्षेत्र में स्थित होता हैं और दर्द हल्का रहता हैं।
  • ऐसे में जिन लोगों को सिरदर्द होता हैं,उन्हें उपवास के दौरान सिरदर्द होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होता हैं।

पाचन से संबंधी समस्याएं

कब्ज,दस्त और सूजन सहित पाचन संबंधी समस्याएं हैं  ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई देते हैं तो आप अनुभव कर सकते हैं कि आप रुक-रुक कर उपवास करते हैं।

आंतरायिक उपवास के नियमों के अनुसार आने वाले भोजन के सेवन में कमी आपके पाचन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं,जिससे आपको कब्ज और अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।इसके साथ ही आंतरायिक उपवास के कार्यक्रमों से जुड़े आहार में परिवर्तन से सूजन और दस्त हो सकते हैं।

आपका आहार अगर फाइबर से भरपूर पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थों का चयन आपके कब्ज को रोकने में सहायता करता हैं।

चिड़चिड़ापन महसूस करना

इंटरमिटेंट फास्टिंग करने पर कुछ लोगों को चिड़चिड़ापन महसूस होता हैं।जिसके कारण आपका ब्लड शुगर कम हो जाता हैं और इससे आपको जलन होने लगती हैं। 

महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में बताया गया हैं कि 18 घंटे के उपवास की अवधि के दौरान प्रतिभागी गैर-उपवास अवधि की तुलना में अधिक चिड़चिड़े थे।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि, महिलाएं अधिक चिड़चिड़ी थीं।उन्होंने उपवास की अंत में उपवास की शुरुआत की तुलना में उपलब्धि, गर्व और आत्म-नियंत्रण की भावना का अनुभव किया गया हैं।

थकान महसूस करना

अध्ययनों से ऐसा पता चला हैं कि कुछ लोग आंतरायिक उपवास के अलग-अलग तरीकों का अभ्यास करने से थकान महसूस करते हैं।

आपको आंतरिक उपवास से संबंधित लो ब्लड शुगर के कारण थकान और कमजोरी महसूस हो सकती हैं। उसके साथ ही कुछ लोगों की नींद में खलल पड़ सकता हैं जिससे दिन में आपको थकान महसूस हो सकती हैं।

वास्तव में आंतरायिक उपवास थकान को कम कर सकता हैं,जब आपका शरीर नियमित उपवास अवधि के लिए अनुकूलित हो जाता हैं।

नींद न आना

शोध में ऐसा बताया गया हैं कि नींद न आना या सोते रहना यह आंतरायिक उपवास से संबंधित सबसे आम दुष्प्रभावों में से एक हैं। 

आंतरायिक उपवास के शुरुआत के दिनों में थकान हो सकती हैं क्योंकि आपका शरीर बड़ी मात्रा में नमक और पानी का उत्सर्जन करता हैं।जिससे निर्जलीकरण और कम नमक का स्तर भी हो सकता हैं। 

लेकिन अन्य अध्ययनों से ऐसा पता चला हैं कि आंतरायिक उपवास से संबंधित नींद पर कोई असर नहीं पड़ता हैं।

अश्वगंधा के फायदे!

आयुर्वेद के अनुसार उपचार के लिए अश्वगंधा का उपयोग आज से ही नहीं बल्कि कई वर्षों से ही किया जा रहा हैं।यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण  औषधि हैं।ऐसे में बीते कई हजारों वर्ष अश्वगंधा का उपयोग कई गंभीर बीमारियों के लिए किया जा रहा हैं।आयुर्वेद के विशेषज्ञों के मुताबिक अश्वगंधा के बारे में बताते हुए कई ऐसी जानकारियां दी गई हैं जिसका पता शायद ही किसी को हो।अश्वगंधा का इस्तेमाल कई सारी शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता हैं।अश्वगंधा में सेहत के लिए ऐसे कई छोटे-बड़े गुण होते हैं,जो कि समयानुसार आपको काम आते हैं।

देश विदेश में अश्वगंधा के कई प्रकार होते हैं।लेकिन अश्वगंधा की पहचान करने के लिए आपको इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती हैं।इसकी ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती हैं।जंगल में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्‍यम से उगाए जाने वाले अश्वगंधा के गुण अच्‍छे होते हैं।तेल निकालने के लिए अश्वगंधा का पौधा ही अच्‍छा माना जाता हैं। 

अब आपको अश्वगंधा के और भी बहुत से गुणों के बारे में बताते हैं जिसके बारे में आपको अभी तक जानकारी नहीं हैं।

 

 तनाव को कम करने में मददगार

आजकल की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग तनाव जैसी समस्या से लगातार जूझ रहे हैं।ऐसे में आपके जीवन में तनाव के कई कारण हो सकते हैं। आपको अगर तनाव, चिंता, मानसिक समस्या हैं तो अश्वगंधा का सेवन आपके तनाव को कम करने में आपकी सहायता करता हैं।अश्वगंधा में मौजूद औषधीय गुण तनाव को दूर करने में आपकी सहायता करते हैं।अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण होता हैं जो आपको तनाव से भी राहत दिलाता हैं।

नींद ना आने की समस्या को दूर करता हैं।

आप यदि रात में सोते समय बिस्तर पर करवट बदलते रहते हैं तो इसका मतलब यह हैं कि आपको अच्छी नींद नहीं आती हैं।ऐसे में अश्वगंधा का सेवन इस समस्या के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता हैं।एक अध्ययन के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि अश्वगंधा की पत्तियों में ट्राइथिलीन ग्लाइकोल नाम का यौगिक मौजूद होता हैं,जो पर्याप्त और सुकून भरी नींद लेने में सहयोग करता हैं।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित हो सकता हैं।

अश्वगंधा का सेवन करने से दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता हैं क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में आपकी सहायता करते हैं।इसका सेवन करने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और बेड कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कम करता हैं।

डायबिटीज के खतरे को कम करता हैं।

आज लोग डायबिटीज से धीरे-धीरे ग्रसित हो रहे हैं।यह एक ऐसी बीमारी हैं इसका इलाज सिर्फ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी से ही संभव हो सकता हैं।अश्वगंधा का सेवन करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता हैं।

लिवर रोगों से करें बचाव

अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण लिवर में होने वाली सूजन की समस्या दूर करने में मददगार साबित होता हैं।यह आपकी सूजन को कम करता हैं। आप अगर रात में सोने से पहले दूध के साथ इसका सेवन करते हैं तो काफी फायदेमंद होगा।यह फैटी लिवर की समस्या को भी दूर करता हैं।इसका सेवन करने से लिवर हानिकारक टॉक्सिन्स के बुरे असर से बचता हैं और लिवर को डिटॉक्स भी करता हैं।

कैंसर से करें बचाव।

अश्वगंधा का इस्तेमाल कई सारी बीमारियों के लिए किया जाता हैं।इसमें खतरनाक और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी शामिल हैं।अश्वगंधा का सेवन करने से घातक बीमारीयों से भी बचा जा सकता हैं। इसमें मौजूद एंटी-ट्यूमर गुण वैकल्पिक उपचार के लिए बहुत अच्छा माना गया हैं।

अश्वगंधा आपके दिमाग की मेमोरी किभी सहायता करता हैं।

एक अध्ययनों से ऐसा पता चलता हैं कि अश्वगंधा, किसी चोट या बीमारी से होने वाली याद्श्क्ती और दिमाग की समस्याओं को सही करने में आपकी काफी सहायता करता हैं।ऐसे में बहुत से शोधों से यह भी पता चला हैं कि यह एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को बढ़ावा देता हैं जो तंत्रिका कोशिकाओं को हानिकारक मुक्त कणों से भी बचाता हैं।50 वयस्कों पर आठ सप्ताह तक किये गए एक अध्ययन से ऐसा पता चला हैं कि 300 मिली ग्राम अश्वगंधा की जड़ का अर्क दिन में दो बार लेने से सामान्य याददाश्त कार्य प्रदर्शन और ध्यान में भी सुधार पाया गया हैं।

रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिए अश्वगंधा का सेवन करें।

आपके शरीर के रोग प्रतिरोधक कि क्षमता बेहतर नहीं होगी,तो ऐसे में बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता हैं।वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक,अश्वगंधा के उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आ सकता हैं। अश्वगंधा में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव आपके शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव कर सकता हैं, जिसे रोगों से लड़ने में सहायता मिलती हैं।इसलिए, ऐसा माना जाता हैं कि अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता हैं।

त्वचा की समस्या के लिए

श्रृंगीयता के कारण आपकी त्वचा सख्त और रूखी हो जाती है।अश्वगंधा का उपयोग श्रृंगीयता के इलाज में किया जाता हैं।इसकी समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिन में दो बार पानी के साथ तीन ग्राम अश्वगंधा लें। त्वचा को मूलायम रखने के लिए यह कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता हैं और प्राकृतिक त्वचा तेलों की वृद्धि में मदद करता हैं।अश्वगंधा में  कुछ स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो झुर्रियों,काले धब्बे जैसे उम्र बढ़ने के संकेतों से लड़ने में आपकी सहायता करते हैं। 

बालों के लिए

अश्वगंधा आपके शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के गिरने को नियंत्रित रखते हैं।अश्वगंधा बालों में मेलेनिन की हानि को रोक कर समय से पहले ही बालों के ग्रे होने को रोकता हैं।अश्वगंधा में टाइयरोसीन हैं,जो एमिनो एसिड हैं और वो आपके शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित भी करता हैं।

अश्वगंधा से बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं।अश्वगंधा और नारियल के तेल से बनाया गया तेल जो रोज़ बालों पर लगाने से बाल नहीं झड़ते हैं। 

अश्वगंधा को गिलोय में मिलाकर लगाने से भी हड्डियों को सहारा मिलता हैं।बालों को संभालने के लिए और इससे बाल भी मज़बूत होते हैं।

कम नींद मिलने पर तनाव पैदा होता हैं।कम सोने से तनाव और चिंता भी बढ़ती हैं और जिससे ज़्यादा बाल झड़ते हैं।ऐसा कहते हैं कि अश्वगंधा से अच्छी नींद आती हैं और वो चिंता को कम करता हैं और बाल झड़ने का मुख्य कारण यह भी हैं कि काफी लंबे समय से चला आ रहा यह तनाव से ग्रस्त वयस्कों का अध्ययन करने पर पता चला हैं कि अश्वगंधा लेने से अनिद्रा और चिंता कम होती हैं।

आंखों की बीमारी के लिए अश्वगंधा

आंखों से जुड़ी बीमारियों का शिकार आज हर कोई बन रहा हैं जैसे मोतियाबिंद कि यह बीमारी के मामले बढ़ते हि जा रहें हैं।ऐसे में कई लोग मोतियाबिंद से अंंधे तक हो गए हैं।वैज्ञानिकों ने अश्वगंधा को लेकर शोध किया हैं कि उनके अनुसार,अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। अध्ययन में ऐसा पाया गया हैं कि अश्वगंधा मोतियाबिंद के खिलाफ प्रभावशाली तरीके से काम कर सकता हैं। यह मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक लाभकारी भी हो सकता हैं।अश्वगंधा का इस्तेमाल आपकी आंखो की रोशनी को बढ़ाने का काम करता है। इसे रोज दूध के साथ लेंने से आंखो के साथ साथ स्ट्रेस से भी बचा जा सकता हैं।

दिन में 100 स्क्वाटस करने से क्या होता हैं?

शरीर को फिट रखने के लिए और शेप में लाने के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी होती हैं।जो आपके वजन को कम करके मसल्स को स्ट्रान्ग बनाती हैं और आपको फैट से फिट बनाती हैं।स्क्वैट्स उन्हीं में से एक हैं।

स्क्वाटस बॉडी को फ्लेक्सीबल और मांसपेशियों को मजबूत करने में आपकी मदद करते हैं और इन दिनों में व्यायाम काफी लोकप्रिय हो रहा हैं।फिट रहने के लिए लोग अब स्क्वाट के जरिए रैगुलर वर्कआउट भी कर रहे हैं।

स्क्वाटस एक आसान एक्सरसाइज हैं,जिससे न  आपके हाथ या पैरों की बल्कि पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती हैं।इसमें आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कर सकते हैं। लोग इसलिए स्क्वाट को अपनी एक्सरसाइज में शामिल करतेहै और फिट हैं।

इस एक्सरसाइज की खास बात ये है कि इसके लिए आपको किसी भी जिम में जानें कि जरुरत नहीं हैं और फिजूल में पैसा खर्च करने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि आप घर पर या कहीं भी स्क्वाट व्यायाम कर सकते हैं।

स्क्वाटस से न केवल आपकी बॉडी रिलेक्स्ड होगी, बल्कि आप खुद भी स्ट्रेस फ्री महसूस करोगें।ये एक्सरसाइज करने से आप कम समय में अधिक चर्बी को कम कर सकते हैं और साथ ही स्क्वॉट्स को अपनी एक्सरसाइज का हिस्सा बनाएं जिससे आप फिट रहें।

स्क्वाटस से क्या-क्या फायदें होते हैं?

पाचन क्रिया को सही रखें

स्क्वॉट्स एक्सरसाइज को करने से आपके शरीर की गंदगी और व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकलने में सहायता मिलती हैं।इस एक्सरसाइज को करने से शरीर के हर भाग में सभी न्यूट्रिएंट्स बराबर से बट जाते हैं और इसे आपके शरीर की पाचन क्रिया सही रहती हैं। 

स्क्वॉट्स करने से वजन घटता हैं और शरीर स्वस्थ रहता हैं।इसलिए कहा जाता हैं कि स्क्वॉट्स के फायदे में पेट का स्वास्थ्य शामिल होता हैं।

मांसपेशियों को मजबूत करें

आपके शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए स्क्वॉट्स अच्छा व्यायाम हैं। जिससे पैरों के साथ-साथ पूरा शरीर भी मजबूत होता हैं।

जब भी आप स्क्वॉट्स करते हैं,तो एक हार्मोन शरीर से निकलता हैं, जिसे टेस्‍टोस्‍टेरॉन कहा जाता हैं।ये हार्मोन आपके शरीर के विकास में भी लाभकारी हैं।आप अगर प्राकृतिक तरीके से मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो हर रोज व्यायाम अवश्य करें।

कैलोरी कम करें

लोगों को ये जानना जरूरी हैं कि स्क्वाटस से कितनी कैलोरी भी कम कर सकते हैं।लोग कैलोरी बर्न करने के लिए अक्सर एरोबिक एक्सरसाइज जैसे रनिंग या साइकिलिंग करते हैैं।लेकिन लोग स्क्वाट से गंभीर कैलोरी को भी कम कर सकते हैं।

चोट लगने की संभावना कम करें

आप अगर व्यायाम करते हैं, तो चोट लगने कि संभावना कम हो जाती हैं, क्योंकि व्यायाम करने से आपकी मांसपेशियां और जोड़ मजबूत होते हैं। इससे आपका शरीर भी लचीला बनता हैं।  स्क्वॉट्स के फायदे को जान लिजिए और अभी से ही स्क्वॉट्स शुरू कर दीजिए।

एनर्जी लेवल को बढ़ाए

स्क्वॉट्स करने से आपके शरीर के हार्मोंसकी गतिविधि भी बढ़ जाती हैं और इससे शरीर में एनर्जी लेवल भी बढ़ जाती हैं।अगर आप व्यस्त जीवन में कुछ समय इस व्यायाम को देते हैं और आप इस एनर्जी के स्तर को बढ़ा सकते हैं।

शरीर के संतुलन को सुधारे

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती हैं वैसे ही टांगे कमजोर होने लगती हैं और शरीर का संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता हैं। व्यायाम करने से आपकी टांगे मजबूत होंगी।

स्क्वॉट्स एक ऐसा व्यायाम हैं जिससे न केवल शरीर फिट रहता हैं,और शरीर का संतुलन भी बना रहता हैं।यह एक्सरसाइज आपकी मांसपेशियों को स्थिर करने का काम भी करेगी,जिससे आपका दिमाग और मांसपेशियों के बीच का संबंध सुधरता हैं।

कमर कि परेशानी होती हैं दूर

स्क्वॉट्स एक्सरसाइज से बॉडी पॉश्चर को ठीक किया जा सकता हैं।वर्कआउट की मदद से मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग कर सकते हैं और आपकी उठने, बैठने या चलने की पुजिशन भी ठीक रहती हैं,इससे कमर दर्द जैसी परेशानियों से बचा जा सकता हैं।

ब्लड सर्क्युलेशन करें बेहतर

बॉडी में ब्लड सर्क्युलेशन को बेहतर करने के लिए  स्क्वॉट्स वर्कआउट बेहतर विकल्प माना जाता हैं। फिटनेस एक्सपर्ट्स के अनुसार वर्कआउट से पैरों को एनर्जी मिलती हैं और ऑक्सिजन लेवल भी बढ़ता हैं।आपके पूरे शरीर को फायदा मिलता हैं।इसलिए कहा जाता हैं कि कुछ वक्त निकाल कर व्यायाम करने की आदत जरूर डालें।

स्ट्रेस फ्री रहने के लिए करें स्क्वॉट्स 

ये भागती-दौड़ती जिंदगी में आप तनाव मुक्त रहना चाहते हैं तो स्क्वाटस जरुर करें।एक रिसर्च के अनुसार स्क्वॉट्स आपके बॉडी में एंडॉर्फिन के निर्माण में सहायक होता हैं। एंडॉर्फिन एक तरह का प्रकिर्तिक दर्द होता हैं,जो आपके मूड को भी अच्छा रखने में आपका साथ देता हैं।