आज के समय में चयापचय (मेटाबॉलिक) को बढ़ाने के लिए आपको हर 2 से 3 घंटे में कुछ न कुछ खाना खाने की सलाह दी जाती हैं।लेकिन ऐसा करने से चयापचय बढ़ता हैं या नहीं वह तो नहीं पता लेकिन ऐसा बार-बार खाने से दिन भर की कैलोरी जरूर बढ़ जाएगी।आपको हर कुछ घंटों में कुछ न कुछ खाना चाहिए।
ऐसे में अधिक भोजन आपके शरीर में विशेष रूप से अंग के आसपास ज्यादा चर्बी का निर्माण करता हैं। यह आपको चयापचय चिंता की तरफ ले जाता हैं और यह मधुसूदनी (इंसुलिन) प्रतिरोध को भी बढ़ावा देता हैं।ऐसे में उपवास एक इंसान के पूरे स्वास्थ्य में सुधार करता हैं।आप जब भोजना खाना बंद कर देते हैं,तो 12 घंटे से 36 घंटे तक कार्बोहाइड्रेट फ्यूल होता हैं।ऐसे में आपका शरीर ऊर्जा के स्रोत के लिए चर्बी बनाता हैं इसे चयापचय स्विच कहा जाता हैं।यही वजह हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग या उपवास के दौरान आपको अनुशंसित16 घंटे के उपवास की सलाह दी जाती हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार उन्होंने एक चूहे को उपवास जैसी स्थिति में रखा और यह देखा कि उसके वज़न में कुछ कमी आई हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब यह हैं कि,उपवास करना जो हजारों वर्षों से चला आ रहा हैं या आप ऐसा भी कह सकते हैं कि सुबह का नाश्ता स्किप करना और इसके बाद में दुपहर का खाना पेट भर कर खाना।
आप इसे ऐसा भी कह सकते हैं,भूखे रहने के समय को फ़ेमाइन फ़ेज़ और खूब खाने के समय को फ़ीस्टिंग फ़ेज़।आप फ़ेमाइन फ़ेज़ के दौरान हफ़्ते में एक दिन 24 घंटे के लिए भूखे रह सकते हैं या हफ़्ते में 4 दिन उपवास लगातार नहीं कर सकते हैं।ऐसे में फ़ीस्टिंग फ़ेज़ में आप अपनी पसंदीदा चीज़ें खा सकते हैं।
ऐसा आप हफ़्ते में एक दो दिन के लिए अपने आपको नियंत्रित कर सकते हैं और बाकी दिन जितना मन करे उतना अच्छे से आप खा सकते हैं।
आपको अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग के फ़ायदे के बारे में बताया जाए तो मधुसूदनी सेंसिटिविटी जो सबसे ऊपर होगा।ऐसे में खोज के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि उपवास आपके शरीर को मधुसूदनी की तरफ़ ज़्यादा संवेदनशील बनाता हैं।मधुसूदनी वह हार्मोन हैं जो आपके शरीर की कोशिकाओं को खून से ग्लूकोज़ लेने में मदद करता हैं।इसका मतलब यह हैं कि उपवास के बाद आपका शरीर बेहतर तरीके से ग्लूकोज़ को सुखा देता हैं और इस तरह ब्लड में ग्लूकोज़ लेवल कम हो जाता हैं।ऐसे में डाइबिटीज़ और उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्याओं का जोखिम भी कम किया जा सकता हैं।
इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ता हैं।
अब आपको बताते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या फायदे हैं।
आंतरायिक उपवास करने वाले लोगों में कई लोग ऐसे हैं वजन को कम करने के लिए ऐसा कहते हैं और रुक-रुक कर उपवास करने से आप कम भोजन करते हैं।
जब कभी आप अन्य भोजन के दौरान अधिक खाना नहीं खाते हैं तब तक आप कम कैलोरी ले लेते हैं ।
इसके अलावा आंतरायिक उपवास आपकी वजन घटाने की सुविधा के लिए हार्मोन के कार्य को बढ़ाती हैं।
मधुसूदनी का स्तर कम होता हैं,एचजीएच का स्तर और नॉरपेनेफ्रिन की बढ़ी हुई मात्रा आपके पूरे शरीर में वसा के टूटने को बढ़ाते हैं।
आपके दिमाग के लिए फायदेमंद
जो आपके शरीर के लिए अच्छा होता हैं वह अक्सर मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता हैं।
आंतरायिक उपवास को कम करने में सहायता करता हैं चूहों के एक अध्ययनों से पता चला हैं कि आंतरायिक उपवास से हि नई कोशिकाओं के विकास को बढ़ाया जा सकता हैं,जिससे मस्तिष्क के कार्य में लाभ होना चाहिए।
आंतरायिक उपवास से मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण लाभ हो सकता हैं।ये नए न्यूरॉन्स की वृद्धि को बढ़ा सकता हैं और मस्तिष्क को नुकसान से भी बचाया जा सकता हैं।
कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप
आंतरायिक उपवास एलडीएल और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार लाने में सहायक हैं।शोधाओ के अनुसार यह पता चला हैं कि यह रक्तचाप और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता हैं।यह उपाय तरह तरह के रोगों के जोखिम को रोकने और कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और विशेष रूप से हृदय रोग।
सूजन
आंतरायिक उपवास करने से शरीर कि सूजन को कम किया जा सकता हैं।यह दिखाया गया हैं कि आंतरायिक उपवास एडिपोनेक्टिन में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता हैं,जो आपकि सूजन पैदा करने वाले मोनोसाइट्स को रोककर सूजन को कम करने में आपकी सहायता कर सकता हैं।
आइए जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या नुकसान हैं।
सिरदर्द और चक्कर आना
- सिरदर्द आंतरायिक उपवास का एक दुष्प्रभाव हैं। वे आम तौर पर उपवास मसविदा बनाने (प्रोटोकॉल) के कुछ दिनों पहले होता हैं।
- साइड इफेक्ट की सूचना देने वाले चार अध्ययनों के मुताबिक कुछ प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें हल्का सिरदर्द रहता हैं।
- शोधकर्ताओं ने यह भी बताया हैं कि उपवास में सिरदर्द मस्तिष्क के ललाट क्षेत्र में स्थित होता हैं और दर्द हल्का रहता हैं।
- ऐसे में जिन लोगों को सिरदर्द होता हैं,उन्हें उपवास के दौरान सिरदर्द होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होता हैं।
पाचन से संबंधी समस्याएं
कब्ज,दस्त और सूजन सहित पाचन संबंधी समस्याएं हैं ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई देते हैं तो आप अनुभव कर सकते हैं कि आप रुक-रुक कर उपवास करते हैं।
आंतरायिक उपवास के नियमों के अनुसार आने वाले भोजन के सेवन में कमी आपके पाचन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं,जिससे आपको कब्ज और अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।इसके साथ ही आंतरायिक उपवास के कार्यक्रमों से जुड़े आहार में परिवर्तन से सूजन और दस्त हो सकते हैं।
आपका आहार अगर फाइबर से भरपूर पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थों का चयन आपके कब्ज को रोकने में सहायता करता हैं।
चिड़चिड़ापन महसूस करना
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने पर कुछ लोगों को चिड़चिड़ापन महसूस होता हैं।जिसके कारण आपका ब्लड शुगर कम हो जाता हैं और इससे आपको जलन होने लगती हैं।
महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में बताया गया हैं कि 18 घंटे के उपवास की अवधि के दौरान प्रतिभागी गैर-उपवास अवधि की तुलना में अधिक चिड़चिड़े थे।
शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि, महिलाएं अधिक चिड़चिड़ी थीं।उन्होंने उपवास की अंत में उपवास की शुरुआत की तुलना में उपलब्धि, गर्व और आत्म-नियंत्रण की भावना का अनुभव किया गया हैं।
थकान महसूस करना
अध्ययनों से ऐसा पता चला हैं कि कुछ लोग आंतरायिक उपवास के अलग-अलग तरीकों का अभ्यास करने से थकान महसूस करते हैं।
आपको आंतरिक उपवास से संबंधित लो ब्लड शुगर के कारण थकान और कमजोरी महसूस हो सकती हैं। उसके साथ ही कुछ लोगों की नींद में खलल पड़ सकता हैं जिससे दिन में आपको थकान महसूस हो सकती हैं।
वास्तव में आंतरायिक उपवास थकान को कम कर सकता हैं,जब आपका शरीर नियमित उपवास अवधि के लिए अनुकूलित हो जाता हैं।
नींद न आना
शोध में ऐसा बताया गया हैं कि नींद न आना या सोते रहना यह आंतरायिक उपवास से संबंधित सबसे आम दुष्प्रभावों में से एक हैं।
आंतरायिक उपवास के शुरुआत के दिनों में थकान हो सकती हैं क्योंकि आपका शरीर बड़ी मात्रा में नमक और पानी का उत्सर्जन करता हैं।जिससे निर्जलीकरण और कम नमक का स्तर भी हो सकता हैं।
लेकिन अन्य अध्ययनों से ऐसा पता चला हैं कि आंतरायिक उपवास से संबंधित नींद पर कोई असर नहीं पड़ता हैं।